मिट्टी वाला लड़का – जो IPS बना"
"मिट्टी वाला लड़का – जो IPS बना"
नमस्कार दोस्तों
मैं Sumit और आपका स्वागत है Sumit Blogs Official में – जहाँ हर कहानी आपको ज़िंदगी से लड़ने की हिम्मत देती है।
आज जो कहानी मैं आपके साथ बाँट रहा हूँ, वो किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है। ये सच्चाई है उस हौसले की जो गरीबी में जन्मा, मिट्टी से लिपटा, लेकिन कभी सपनों से समझौता नहीं किया।
ये कहानी है विजय की – एक गरीब मजदूर का बेटा, जो बचपन में ईंट-भट्ठे पर काम करता था, और आज एक IPS ऑफिसर है।
उसने शुरुआत वहाँ से की जहाँ लोग रुक जाते हैं
बिहार के एक छोटे से गाँव में जन्मा। उसका परिवार इतना गरीब था कि घर में छत टपकती है, और पढ़ाई की किताबों की जगह पुराने अखबार मिलते हैं।
पापा मजदूरी करते और माँ दूसरों के खेतों में काम। विजय स्कूल से लौटकर ईंट भट्ठे में मिट्टी खोदने जाता था। उसके हाथ छोटे थे, लेकिन इरादे बड़े थे।
लोग ताने मारते थे
"तेरे जैसे लड़के तो मजदूरी करने के लिए ही बने हैं।"
पर विजय के अंदर की आवाज़ कहती –
"मैं अफसर बनूंगा।"
पढ़ाई की जिद – बिना ट्यूशन, बिना फीस
गाँव में ना तो कोचिंग थी, ना इंटरनेट, ना मोबाइल।
लेकिन विजय ने सरकारी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और शहर की एक लाइब्रेरी में बैठकर खुद से पढ़ाई शुरू की।
वो रोज़ 8 से 10 घंटे पढ़ता।
कभी भूखा गुजारा करता, कभी पुरानी किताबों में जवाब ढूंढता।
उसने NCERT की किताबें कई बार दोहराईं, नोट्स बनाए, अखबार पढ़े – और धीरे-धीरे सपने को आकार देना शुरू किया।
नाकामी का स्वाद भी चखा
विजय ने पहली बार UPSC का exam दिया… फेल हो गया।
दूसरी बार फिर से… नतीजा वही।
गाँव वाले हँसे – "अब तो मान जा, ये तेरे बस की बात नहीं।"
लेकिन उसके अंदर जिद ज़िंदा थी।
उसने खुद से कहा – "अभी नहीं हुआ, लेकिन होगा ज़रूर।
उसने अपनी कमज़ोरियों को पहचाना, सुधारा, खुद को और मज़बूत किया। और फिर तीसरे प्रयास में…
सपना हुआ सच – विजय बना IPS
तीसरे प्रयास में UPSC का परिणाम आया…
विजय ने All India Rank 189 प्राप्त की।
वो लड़का जो कभी ईंट भट्ठे में काम करता था, आज IPS ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया।
गाँव वाले, जिन्होंने कभी उसे मज़ाक उड़ाते थे – अब उसके पोस्टर छपवाकर गाँव में बधाई बाँट रहे थे।
उसकी माँ की आँखों में आँसू थे – लेकिन इस बार दुख के नहीं, गर्व के आँसू।
आज विजय देश के एक बड़े राज्य में IPS ऑफिसर है।
वो युवाओं के लिए सेमिनार करता है, और खुद की लाइब्रेरी चला रहा है जहाँ वो गरीब बच्चों को फ्री गाइडेंस देता है।
उसकी सोच सीधी है –
> "मैं मिट्टी से निकला हूँ, तो मेरी जड़ों हमेशा वहीं रहेंगी।"
सीख-
सपने बड़े हों तो हालात छोटे लगते हैं
विजय की कहानी हमें ये सिखाती है कि:
पैसे की कमी कभी सपना नहीं मार सकती।
कोचिंग के रख-खोदे भी नहीं होते, UPSC निकाला जा सकता है।
नाकामी पड़ाव है, मंज़िल नहीं।
अगर आपके अंदर आग है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।
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दोस्तों,
मैंने ये कहानी सिर्फ इसलिए लिखी क्योंकि शायद कहीं कोई विजय आज भी मिट्टी में काम कर रहा होगा, लेकिन उसके सपनों में आसमान होगा।
यदि आप भी ज़िंदगी से लड़ रहे हो, तो एक बात याद रखो –
> "हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत कभी धोखा नहीं देती।"
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Sumit Verma
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